यूजीसी परामर्श योजना 2019-20 (UGC Paramarsh Scheme in Hindi) (पात्रता मापदंड) [उच्च शैक्षणिक संस्थानों (HEIs) में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा]
हमारे देश में उच्च शिक्षा को हमेशा से ही प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखा है, और इस क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए काफी प्रयास भी किये गये हैं. किन्तु हमारे देश में कई उच्च शिक्षण संस्थाएं हैं जो शिक्षा के स्टैण्डर्ड को पूरा नहीं कर पा रही है, जिनका मूल्यांकन ‘नेशनल असेसमेंट एक्क्रेडिटेशन कौंसिल (एनएएसी) द्वारा किया जाता है. इस कौंसिल द्वारा अब एक नई योजना शुरू की जा रही है, जिसके तहत ऐसे संस्थान जो शिक्षा के स्टैण्डर्ड को बनाये रखने में विफल हुए हैं, वे अब मेंटरशिप प्राप्त कर सकते हैं. मेंटरशिप देश के टॉप कॉलेज एवं युनिवर्सिटी द्वारा प्रदान की जाएगी. इस योजना की क्या – क्या मुख्य विशेषताएं हैं यह हम आपको यहाँ दर्शा रहे हैं, तो इस आर्टिकल में आप अंत तक हमारे साथ बने रहिये.
योजना के लांच की जानकारी (Launched Details)
नाम | युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) परामर्श योजना |
लांच | जुलाई, 2019 |
शुभारंभ | रमेश पोखरियाल ‘निशांक’ |
लाभार्थी | देश के वे सभी शिक्षण संस्थान जो शिक्षा के स्टैण्डर्ड को बनाये रखने में विफल हुये हैं. |
संबंधित विभाग | मानव एवं संसाधन मंत्रालय |
यूजीसी परामर्श योजना की विशेषताएं (UGC Paramarsh Scheme Features)
- उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार :- इस योजना को शुरू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य हैं भारत में दूसरे देशों के मुकाबले सबसे बेहतर उच्च शिक्षा का होना. ताकि विश्व रैंकिंग में भारत का स्थान सबसे ऊपर हो सके. अतः उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने एवं उसके स्टैण्डर्ड को बेहतर बना कर ही यह किया जा सकता हैं इसलिए ही इस योजना को शुरू किया जा रहा है.
- संस्थानों को सक्षम बनाना :- इस यूजीसी परामर्श योजना के साथ, संस्थानों को पाठ्यक्रम के पहलुओं, शिक्षण एवं मूल्यांकन, रिसर्च, इनोवेशन, इंस्टिट्यूशनल वैल्यूज और प्रैक्टिसेज आदि के क्षेत्र में ध्यान केन्द्रित करके मान्यता प्राप्त करने में सक्षम बनाया जायेगा.
- दी जाने वाली सुविधा :- इस योजना के तहत ऐसे उच्च शिक्षण संस्थान जो एनएएसी के गुणवत्ता स्टैण्डर्ड को पूरा करने में सफल नहीं हो पायें हैं, उन्हें अब देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से मेंटरशिप प्राप्त होगी.
- पहला चरण :- इस योजना के पहले चरण में लगभग 71 विश्वविद्यालय और 391 कॉलेज ऐसे होंगे जोकि मेंटर की भूमिका निभाएंगे, और ये सभी युनिवर्सिटी एवं कॉलेज में से प्रत्येक के पास 5 कॉलेज होंगे, जिन्हें वे मेंटरशिप प्रदान करेंगे.
- कुल लाभार्थी संस्थान :- इस योजना में लगभग 1,000 उच्च शिक्षण संस्थानों को मेंटरशिप प्रदान हो सकें, इसका लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
- फेलोशिप राशि :- इस योजना में मेंटर की भूमिका निभाने वाले विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को यह सुविधा दी जाएगी कि वे अपने लिए एक एक्सपर्ट नियुक्त कर सकते हैं. और उन एक्सपर्ट्स को प्रतिमाह 31,000 रूपये की फेलोशिप राशि का भुगतान किया जायेगा. और साथ ही उन सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
- हब और स्पोक मॉडल :- यह योजना का संचालन एक ‘हब और स्पोक मॉडल’ के माध्यम से किया जाना है. इसके तहत जो मेंटर संस्थान होगी उन्हें यहाँ हब कहा जा रहा है, और जो मेंटरशिप प्राप्त करेंगी उन्हें स्पोक कहा जा रहा है. अतः यहाँ हब संस्थान को केंद्रीकृत किया जा रहा है, जो अपनी सेवा देते हुए स्पोक संस्थानों का मार्गदर्शन करेगी. जिससे इन संस्थानों का विकास होगा. इसके साथ ही यह योजना मेंटलिटी संस्थानों के ओवरआल विकास को प्राप्त करने के लिए रिसोर्स यूटिलाइजेशन एवं ऑपरेशनल एफिशिएंसी पर केन्द्रीकृत नियंत्रण की अनुमति भी देगी.
- कुल छात्रों को लाभ :- इस योजना में ऐसे 3.6 करोड़ छात्र जो भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में दाखिला ले रहे हैं उन्हें लाभ प्रदान किया जायेगा.
पात्रता मापदंड (Eligibility Criteria)
इस योजना की आधिकारिक जानकारी पीआईबी (PIB) द्वारा सरकार ने दी है. इस योजना की पात्रता के बारे में यूपीएससी (UPSC) में भी पुछा जा सकता है.
- भारत की सीमा के अंदर आने वाले संस्थान :- इस योजना में जो भी संस्थान शामिल होंगे फिर चाहे वह मेंटर हो या मेंटी, उनका भारत की सीमा के अंदर होना आवश्यक है. भारत की सीमा के बाहर स्थित किसी भी संस्थान को इसमें शामिल नहीं किया जायेगा.
- शामिल होने वाले शिक्षण संस्थान :- इस योजना में मेंटर और मेंटी संस्थान कोई भी हो सकती हैं फिर चाहे वह सरकारी हो, या सहायता प्राप्त या निजी या स्वयं द्वारा वित्त पोषित कोई भी संस्थान हो सभी को इसमें शामिल किया जा रहा है.
- एनएएसी स्कोर :- इसमें शामिल होने वाले यानि कि सभी मेंटर कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी का एनएएसी में पात्र होना आवश्यक है. इसके लिए उनका एनएएसी स्कोर 3.26 और उससे अधिक होना चाहिए.
- अनुदान के लिए पात्रता :- यूजीसी अधिनियम 1956 के 2 (एफ) और 12 बी के तहत मान्यता प्राप्त कोई भी संस्थान इस पर्पस के लिए यूजीसी अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्र हो सकता है.
इस तरह से यह योजना एनएएसी द्वारा भारत में उच्च शिक्षा के स्टैण्डर्ड को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई हैं. उम्मीद हैं इसके तहत देश में जितने भी शिक्षण संस्थान हैं उनमें शिक्षा का स्तर बेहतर होगा, और इस मामलें में भारत का अन्य देशों के मुकाबलें स्थान भी ऊपर होगा.
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